यूपी

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में इस साल कितने पुरुष और महिला बने नागा संन्यासी, प्रक्रिया भी जानें

Mahakumbh 2025: हर बार महाकुंभ में अलग-अलग अखाड़े सैकड़ों लोगों को नागा साधु बनाने की दीक्षा देते हैं. प्रयागराज महाकुंभ में रविवार को यह प्रक्रिया शुरू हुई.

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में महिलाओं और पुरुषों को नागा संत बनाने की प्रक्रिया रविवार को शुरू हो गई. इसी क्रम में निरंजनी अखाड़े के लगभग 500 पुरुषों को नागा संत बनाने की दीक्षा दी गई. वहीं, जूना अखाड़े ने लगभग 100 महिलाओं को नागा संत बनाया.

पुरुष और महिला सभी को नागा संत बनाने के लिए प्रक्रिया में कुछ चीजें एक समान हैं. जैसे इस प्रक्रिया में दोनों का मुंडन किया जाता है, गंगा में कसमें खिलाई जाती हैं. यह पूरी प्रक्रिया कैसी है जानिए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी दास के शब्दों में..

रविंद्र पुरी दास ने बताया, हमारी परंपरा है कि जब नागा संत बनते हैं तो सबसे पहले विजया हवन संस्कार कराना पड़ता है. विजया हवन से तात्पर्य यह है कि हम अपना और अपने पूर्वजों का पिंडदान करते हैं. उसके पश्चात रात को गंगा नदी में जाते हैं और वहां कसम खाई जाती है. हम 108 कसमें खाते हैं और एक मटके में गंगाजल लेकर जितनी भी कसमें खाई जाती हैं, उसी के अनुसार गंगा नदी को जल अर्पित किया जाता है. सभी रस्में पूरी करने के बाद वह नागा संत बन जाते हैं. इस दौरान वह सनातन की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने का संकल्प भी लेते हैं. वह कभी घर नहीं जाते हैं और न ही शादी करते हैं. यही सब कसमें नागा संत बनने के बाद खाई जाती हैं. अगर कोई कसम तोड़ता है, जैसे कि अपने घर जाता है तो उसे अखाड़े से निष्कासित कर दिया जाता है

इस बार महिला नागा संतों की संख्या बढ़ी
जूना अखाड़े ने लगभग 100 महिलाओं को नागा संत बनाने की दीक्षा दी. इन सभी महिलाओं का सबसे पहले मुंडन संस्कार किया गया और फिर इन्हें गंगा में स्नान कराया गया. स्नान के बाद इन महिलाओं को वैदिक मंत्रों के साथ दीक्षा दी गई. इस प्रक्रिया के दौरान अखाड़े के संत और गुरु ने महिला नागा संतों को धार्मिक आचार संहिता और अपने जीवन की पूरी प्रतिबद्धता की शपथ दिलाई. अखाड़े के ध्वज के नीचे विधि पूर्वक संस्कार किए गए और फिर इन महिलाओं को गुरु के वचन सुनाए गए. इसके बाद भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया. पुरुष नागा संतों की तरह ही महिलाओं को भी 108 बार कसम खिलाई गई कि वे अपने घर-परिवार और सांसारिक जीवन को छोड़कर केवल सन्यासी जीवन अपनाएंगी.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!