
महाकुम्भ – मंगलवार, 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। संक्रांति पर सुबह 9:03 से 10:50 बजे तक (1 घंटा 47 मिनट) का पुण्यकाल है।इस पर्व में कोई भद्रा नहीं है, इसलिए सुबह से शाम तक स्नान शुभ रहेगा।
13 -14 को होगी पुष्पवर्षा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बार पुष्प वर्षा का ऐलान किया है। ऐसे में पहले दोनों प्रमुख स्नान पर्वों पर पुष्प वर्षा की तैयारी पूरी कर ली गई है।
कुंभ मेला कब लगता है-
एक कथा तो कहती है कि इंद्र पुत्र जयंत को अमृत कलश लेकर स्वर्ग पहुंचने में 12 दिन लगे। देवताओं का एक दिन सांसारिक एक साल के बराबर हुआ करता है। इसलिए देवताओं के 12 दिन 12 साल के बराबर हुए। इसी मान्यता के आधार पर कुम्भ भी 12वें साल हुआ करते हैं। प्रयाग के साथ अन्य तीन स्थानों के कुम्भ भी 12 वें साल ही होते हैं। हां, क्रम कुछ इस तरह का है कि एक स्थान के कुम्भ से दूसरे के बीच का अंतर तीन साल का होता है। हरिद्वार में कुम्भ का आयोजन तब होता है जब सूर्य मेष में और गुरु बृहस्पति कुम्भ राशि में स्थित होते हैं।
कुल 6 शाही स्नान
महाकुम्भ के दौरान कुल छह स्नान होंगे, इनमें से तीन अमृत (शाही) स्नान होंगे। अखाड़े अमृत स्नान करते हैं। पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति पर 14 जनवरी, दूसरा मौनी अमावस्या पर 29 जनवरी और तीसरा वसंत पंचमी पर तीन फरवरी को होगा
Mahakumbh : महाकुम्भ 2025 का पहला प्रमुख स्नान सोमवार को पौष पूर्णिमा पर होगा। महाकुम्भ में इस बार पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति का स्नान लगातार पड़ रहा है। सोमवार को पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ मेला क्षेत्र में कल्पवास शुरू हो जाएगा। वहीं मकर संक्रांति के अवसर पर पहला अमृत स्नान होगा। स्नान के लिए 10.5 किलोमीटर का घाट तैयार कर लिया गया है। अखाड़ों के संगम प्रवेश के लिए दो रास्ते दिए गए हैं।
महाकुम्भ 2025 का पहला प्रमुख स्नान सोमवार को पौष पूर्णिमा पर होगा। महाकुम्भ में इस बार पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति का स्नान लगातार पड़ रहा है। सोमवार को पौष पूर्णिमा के स्नान के
पौष पूर्णिमा तिथि 13 जनवरी सुबह 5 बजकर 3 मिनट पर शुरू होकर 14 जनवरी को रात 3 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी. पहले स्नान का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है. ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 5:27 मिनट से लेकर 6:21 मिनट तक. विजय मुहूर्त- दोपहर 2:15 मिनट से लेकर 2:57 मिनट तक. गोधूलि मुहूर्त- शाम 5:42 से लेकर शाम 6:09 मिनट तक. निशिता मुहूर्त- रात 12:03 से लेकर रात 12:57 तक.
कुल 45 दिन तक चलने वाले महाकुंभ 2025 में शाही स्नान की 6 प्रमुख तिथियां हैं. 13 जनवरी 2025- पौष पूर्णिमा, 14 जनवरी 2025- मकर संक्रान्ति, 29 जनवरी 2025- मौनी अमावस्या, 3 फरवरी 2025- वसंत पंचमी, 12 फरवरी 2025- माघी पूर्णिमा, 26 फरवरी 2025- महाशिवरात्रि.
इस धार्मिक आयोजन की चार श्रेणियां होती हैं:- कुंभ, अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ और महाकुंभ. कुंभ का आयोजन हर 12 साल में चार जगहों हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज में होता है. अर्धकुंभ का आयोजन सिर्फ प्रयागराज और हरिद्वार में होता है. इन दोनों जगहों हर 6 साल में एक बार अर्धकुंभ का आयोजन होता है. पूर्ण कुंभ केवल प्रयागराज में हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है. महाकुंभ बहुत दुर्लभ आयोजन है, जो 12 पूर्ण कुंभ यानी 144 वर्षों के बाद एक बार आता है. यह सिर्फ प्रयागराज में संगम तट पर आयोजित होता है.
महाकुंभ के दौरान देश और विदेश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने प्रयागराज में संगम तट पर आते हैं. महाकुंभ में शाही स्नान के कुछ नियम होते हैं. सबसे पहले विभिन्न अखाड़ों के नागा साधु संगम में स्नान करते हैं, इसके बाद ही गृहस्थ लोग स्नान करते हैं. संगम में 5 बार डुबकी लगानी होती है, तभी शाही स्नान पूर्ण माना जाता है. स्नान के समय साबुन या शैंपू इस्तेमाल नहीं करना होता है, क्योंकि इससे पवित्र जल अशुद्ध होता है.
अगला कुंभ मेला उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर साल 2028 में आयोजित किया जाएगा, जिसे सिंहस्थ महापर्व भी कहते हैं. यह मार्च से मई महीने के बीच आयोजित होगा. उज्जैन में 12 साल के बाद कुंंभ का आयोजन होगा. क्षिप्रा, मध्यप्रदेश में बहने वाली भारत की पवित्र नदियों में से एक है. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन में ही स्थित है. क्षिप्रा को मालवा की गंगा कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि क्षिप्रा नदी का स्मरण करने मात्र से मनुष्य के सारे संचित पाप नष्ट हो जाते है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.